साथियों, हर एक persons के mind में यह questions जरूर आते होंगे, कि
What is the art of conversation ? बातचीत की कला क्या है?
how to communicate ? बातचीत करने का तरीका क्या है?
how to talk to elders ? बड़ो से बातचीत करने का तरीका क्या है?
what is communication skills ? बातचीत करने का हूनर क्या है ?
How can I improve my art of conversation ? मैं अपनी बातचीत की कला को कैसे सुधार सकता हूं
What should be the art of conversation? बातचीत का नियम क्या होना चाहिए
इस प्रकार के यह जितने भी questions आपके दिमाग में आते है उन सभी के answers आज ओर अभी इस पेज़ पर मिलेंगे ।
साथियो ! life में हरकदम पर व्यक्ति को साथियो और सहयोगियों से conversation करना पड़ता है | चूँकि यह रोजमर्रा का काम है , लिहाजा घर या दफ्तर कही भी सामान्य परिस्थितियों में यह दिक्क्त भरा काम नहीं लगता | but problem वहा होती है ,जब आप किसी social gatherings में participate कर रहे हो और वहा पर आपको महिलाओं ,बुजुर्गों और वरिष्ठों समेत विभिन्न लोगो से ऐसे issues पर बातचीत करनी पड़ती है , जो आपके काम से Related नहीं होती |
Conversation में expert व्यक्ति अपने आसपास के लोगो को यह feel कराता है की उनका समय अच्छा बीता | इसलिए ऐसे लोग popular होते है |but इस तरह के लोग दुर्लभ होते है | यह विचित्र लग सकता हे , पर यही सच है | आप खुद Try करके देखिये | आप अपने दोस्तों और परिचितों में चुनाव कीजिये ,आप पाएंगे कि कम ही लोग conversation में expert होते है | सारी कोशिशों के बावजूद आप ऐसे तीन , चार लोग ही पाएंगे |
लेकिन क्या Interesting conversation जारी रखना वाकई Difficulty काम है ।
इसका जवाब हॉ और नही दोनो हो सकता है।
हॉ यह difgiculty हो सकता है और नही , यह एक skill है , जिसे किसी अन्य skill की तरह Develop किया जा सकता है।
Some basic principles of good conversation अच्छी बातचीत के बुनियादी सिद्धांत
Good conversation में लोगों को शामिल रखने के लिए आपके पास विभिन्न विषयों पर Interesting मुद्दे होनी चाहिए । व्यक्ति को अपनी Knowledge का दायरा बढ़ाना चाहिए , इससे उसे अलग अलग और विभिन्न मुद्दों पर conversation करने में आसानी होगी । किसी व्यक्ति को successful speaker बनने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों जैसे- Art ,Business , Commercial , Fashion, Film, Literature, Music, Politics, Religion, Sports and social programme के बारे में पूरी knowledge होनी चाहिए। आमतौर पर कोई व्यक्ति कुछ मुद्दों पर अपनेnarrow thoughts पेश कर सामाजिक समारोह में अलग-थलग पड़ जाता है। लिहाजा अपना Knowledge बढ़ाते रहने और world events के बारे में ताजा जानकारी रखना जरूरी है । यह कई तरीके से हासिल किया जा सकता है ।
• प्रतिदिन अखबार पढ़ कर आप बहुत सी जानकारियां हासिल कर सकते हैं । लेकिन यह सिर्फ शीर्षक तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। आपको संपादकीय और अंदर के पन्नों में दिए गए लेख आदि को भी पढ़ना चाहिए ।
• पत्रिकाएं ताजा और समकालीन मुद्दों पर ठोस और समग्र जानकारी देती है, लिहाजा यह बहुत होती है।
• हमारे आसपास क्या चल रहा है, उसके बारे में तुरंत जानकारी हासिल करने में radio and television Helpful साबित हो सकते हैं।
किसी व्यक्ति द्वारा हासिल की गई जानकारी का सीधा इस्तेमाल conversation में नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह उस चीज को उद्धत नहीं कर सकता है जो उसने पढ़ा है। इसके बजाय वह किसी मुद्दे पर चल रही चर्चा में भाग लेकर thoughts का आदान प्रदान कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि इच्छित जानकारी हासिल करने के बाद व्यक्ति को Information का analysis and assessment कर अपनी राय बनाकर सार्थक निष्कर्ष निकालना चाहिए। इस संबंध में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के संपादकीय काफी Hepful साबित होते हैं। Good conversation की कला किसी सामाजिक कार्यक्रम में अच्छी बातचीत के लिए किसी ऐसे मुद्दे का चयन किया जाए , जिसमें वहां मौजूद अधिकांश लोगों का Interest हो। हालांकि यह मुश्किल काम लग सकता है, लेकिन ऐसा है नहीं । यदि किसी program में काफी संख्या में महिलाएं हो तो बातचीत के लिए , TV serials, fashion में latest trends , diet, बच्चों में drugs लेने की बढ़ती आदत interesting मुद्दे बन सकते हैं इसी तरह युवाओं के ग्रुप में बातचीत का मुद्दा, फिल्म, खेल फैशन या जिम और स्पा हो सकते है । इसलिए बातचीत करने से पहले यह ध्यान रखिए कि मुद्दे में सब की दिलचस्पी हो ।
जो जरूरी चीज आपको याद रखनी चाहिए :
• मौके की मांग के मुताबिक मुद्दा उठाइए। उदाहरण के लिए नए साल के जश्न के मौके पर हल्की फुल्की बातचीत होनी चाहिए, ना कि आतंकवाद और ईरान-इराक युद्ध पर ।
• जब दूसरे बात कर रहे हो तो उन्हें उत्साह और दिलचस्पी के साथ सुनिए , भले ही आप यह जानते हो कि सामने वाला व्यक्ति क्या कर रहा है ।
• आपकी उम्मीद से पहले ही लोग बातचीत के मुद्दे में दिलचस्पी खोने लगते हैं। इसलिए यदि आपको लगे कि लोग ऊब रहे हैं तो तुरंत दूसरे मुद्दे पर बातचीत शुरू कर दे ।
• किसी मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के बाद आप ही मत बोलते रहिए, दूसरों को भी शामिल होने का मौका दीजिए। यह ध्यान रखिए कि आप बातचीत में हावी ना हो ।
• ग्रुप में ऐसे लोग भी हो सकते हैं , जो बोलने में हिचकिचाते हैं उन्हें भी भाग लेने में बढ़ावा और मदद कीजिए । अच्छी बातचीत में बाधा
• कई बार अच्छी बातचीत कुछ लापरवाही भरी टिप्पणियों या कुछ लोगों की विचित्र व्यवहार के कारण पटरी से उतर जाती है । इस तरह की घटनाओं से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि किसी ने ऐसी टिप्पणी कर दी हो और बातचीत बंद हो गई हो तो बेहतर होगा कि आप आगे बढ़कर किसी नए मुद्दे पर बातचीत छोड़ दीजिए । ऐसे मौके पर अच्छा होगा कि आप चल रही पार्टी पर बातचीत शुरू कर दें और मेजबान द्वारा की गई शानदार व्यवस्था पर उसकी सराहना करें । स्वाभाविक है सभी लोग इस मुद्दे पर आपसे सहमत होंगे । बहरहाल , इसके अलावा कई अन्य चीजें भी अच्छी बातचीत में बाधा साबित हो सकती है, इसलिए नीचे दी गई चीजों से बचना चाहिए ।
• बेकार की गपशप गलत चीज है और दूसरों पर नजर रखना उससे भी ज्यादा गलत । यह आपमें गलत संस्कार होने का संकेत देते हैं। दूसरों की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में चर्चा करना हमेशा गलत रहा है और इससे बचना चाहिए ।
• किसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान यह दिखाने की कोशिश मत कीजिए कि आपके पास ज्यादा जानकारी है । ध्यान रखिए कि आप किसी चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं, ना कि किसी बहस या सेमिनार में ।
• हर व्यक्ति की अपनी राय होती है आप वक्ता से से असमर्थ हो सकते हैं, लेकिन दूसरों पर जबरन अपनी राय नहीं थोप सकते।
• बीच में व्यवधान ना डालिये । अगर ऐसा करना बहुत जरूरी हो तो वक्ता से माफी मांग कर करिए ।
• गलत मुद्दों पर बातचीत, अश्लील और पक्षपाती चुटकुले जायका खराब करने वाले होते हैं। इनसे बचना चाहिए। हंसी मजाक एक कला होती हैं। व्यक्ति को इस कला को विकसित करना चाहिए। बोलने की शैली आप जो बोलते हैं, वह महत्वपूर्ण होता है। आप किसी महत्वपूर्ण वक्ता को ध्यान से सुनिए और आपको यह पता चल जाएगा कि वह किस ओर संकेत कर रहा है। ऐसे वक्ता का उच्चारण एकदम स्पष्ट होगा और उसके बाद सुनने में भी अच्छी लगेगी। इसलिए अच्छे ढंग से बोलने का आपके व्यक्तिगत जीवन और कैरियर पर सकारात्मक असर हो सकता है।
• बैठने या खड़े होने का तरीका- आपकी आवाज पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। आप सीधे खड़े होकर या बैठकर बोलते हैं तो आपकी आवाज स्पष्ट होती है। मुट्ठी बंद करके बोलने की कोशिश कीजिए यह कल्पना कीजिए कि जब आपका शरीर ऐंठा तो आपकी आवाज पर क्या असर पड़ेगा।
• सांस लेना- यह आपकी बातचीत में ऊर्जा का स्रोत है। बातचीत के वक्त गहरी सांस लेने से आपकी आवाज पर उल्टा असर हो सकता है।
• आवाज- आवाज की चार महत्वपूर्ण विशेषताएं होती हैं। पहला सुर ( इसकी गुणवत्ता भावना से जुड़ी होती हैं) तीव्रता (इसका स्तर ऊंचा या नीचा हो सकता है) ध्वनि (आवाज का स्तर) और स्पष्टता । इन सभी गुणों को नियंत्रित कर बातचीत को कोयल की आवाज या संगीत की तरह मीठा बनाया जा सकता है। आपकी आवाज गर्मजोशी भरी, विनम्र और खुशनुमा होनी चाहिए । नियंत्रित और धीमी आवाज सुनने में अच्छी लगती है । आवाज को सुधारने की कई तरीके हैं, उनमें से कुछ निम्न है:
• बातचीत के दौरान सुर को ऊंचा – नीचा करना सीखिए, इससे शब्द को और अर्थ मिलता है। एक ही सुर और आवाज उबाऊ हो जाती है और आमतौर पर श्रोता सो जाता है । लय के साथ बोलिए । लय के बगैर बातचीत कानों को सुनने में भारी और कठोर लगती है। सांसो पर नियंत्रण करके आप अपनी आवाज में लय ला सकते हैं
• आवाज में भावना छिपी होती है। वक्ता यदि तनाव में हैं तो उसकी आवाज तेज और तनावपूर्ण होती है। दूसरी ओर एक थका हुआ आदमी सामान्यतया धीमी आवाज में बात करता है जो आमतौर पर सुस्त होता है इसलिए भावनाओं को नियंत्रित करना सीखें साथ ही खींच पैदा करने वाली और खराब आदतों की पहचान कीजिए जिसे कोई चुटकुला करते समय हंसना या बोलते समय बार-बार गला साफ करना इससे छुटकारा पाने की कोशिश कीजिए।
• हर शब्द का उच्चारण शाहपुर पूरा होना चाहिए शब्द के अंतिम हिस्से को चबाने या अंत के कुछ शब्दों को छोड़ देने की आदत भाषण को बेअसर कर देती है बोलते समय बुदबुदाना या हुकार नहीं बननी चाहिए ।
• बोलने की गति सामान्य होनी चाहिए यह ज्यादा तेज या ज्यादा धीमी ज्यादा ऊंची यह ज्यादा नीचे नहीं होनी चाहिए सही ढंग से बोलने का अभ्यास कीजिए सही स्थान पर रुकी जैसे लिखते समय आप विराम चिन्ह लगाने के लिए करते हैं
• सही शब्दों पर जोर डालना सीखिए जो आपके दृष्टिकोण को और प्रभावी ढंग से पेश करने में मदद करता है लेकिन ज्यादा जोर देने से श्रोता आपकी राय से सहमत होने के बजाय ऊब जाते हैं
• उच्चारण पर विशेष रूप से ध्यान दीजिए उन शब्दों की पहचान कीजिए जिनमें आप हंसते जाते हैं उन्हें अपने इस्तेमाल से बाहर करने की कोशिश कीजिए या उन्हें बोलने का बार-बार व्यस्त कीजिए
• प्रभावी भाषण में वक्ता हाथों का भी भरपूर इस्तेमाल करते हैं लेकिन ज्यादा हाथ चलाना लोगों का ध्यान बताता है और इसे अच्छा भी नहीं माना जाता
4 thoughts on “The art of conversation{बातचीत की कला}”
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