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जीवन के दो रास्ते 

कभी-कभी जिंदगी हमें दो रास्तों पर लाकर खड़ा कर देती है—एक वो, जहाँ हम अपने सपनों को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, और दूसरा वो, जहाँ हम अपने डर को मात देकर उन सपनों को साकार करते हैं। रॉबर्ट कियोसाकी की पुस्तक “रिच डैड और पुअर डैड” हमें इन्हीं दो रास्तों की कहानी सुनाती है। यह कहानी है, धन और गरीबी की, संघर्ष और सफलता की, सीमाओं से परे जाकर नए आयामों को छूने की। 

दो पिता, दो विचारधाराएं 

रॉबर्ट के जीवन में दो पिता थे—एक ‘पुअर डैड’, उनके जैविक पिता, और एक ‘रिच डैड’, उनके दोस्त के पिता। एक पिता ने उन्हें शिक्षा और नौकरी की पारंपरिक धारा में बहने की सीख दी, जबकि दूसरे ने उन्हें व्यापार और निवेश की असीम संभावनाओं की ओर इशारा किया। 

पुअर डैड का प्रेम 

रॉबर्ट के ‘पुअर डैड’ बहुत ही सज्जन और मेहनती व्यक्ति थे। उनकी दुनिया में सफलता का रास्ता था—शिक्षा, डिग्री और एक स्थिर नौकरी। उन्होंने अपने बेटे को सिखाया कि जीवन में सबसे जरूरी चीज है, एक सुरक्षित नौकरी। उन्होंने अपने जीवन का हर पल इस बात में समर्पित किया कि कैसे घर की जिम्मेदारियों को निभाया जाए, पर उनकी मेहनत हमेशा सीमाओं में जकड़ी रही। 

रिच डैड की दृष्टि 

दूसरी ओर, रिच डैड थे जैसे एक खुला आकाश। उन्होंने सिखाया कि नौकरी से ज्यादा जरूरी है, खुद के लिए काम करना, अपने पैसे को काम पर लगाना। उनकी शिक्षा सरल थी, मगर गहरी—”तुम पैसे के लिए काम मत करो, पैसा तुम्हारे लिए काम करे।” 

संपत्ति और देनदारी का फर्क 

यह पुस्तक हमें संपत्ति और देनदारी के बीच के गहरे अंतर को समझाती है। हम अक्सर सोचते हैं कि जो चीजें हम खरीदते हैं, वे हमारी संपत्ति हैं—घर, गाड़ी, बड़े खर्चे। लेकिन रिच डैड ने समझाया कि असली संपत्ति वह है, जो आपके लिए पैसा बनाती है, और देनदारी वह, जो आपके जेब से पैसा निकालती है। 

कविता-सी बातें: 

“संपत्ति वो नहीं जो आँखों को दिखे, 

वो है जो चुपचाप तुम्हें अमीर करे। 

और देनदारी वो नहीं जो सुंदर लगे, 

वो है जो धीरे-धीरे तुम्हें गरीब करे।” 

 

वित्तीय स्वतंत्रता की ओर पहला कदम 

पुस्तक का सार यही है—वित्तीय साक्षरता। जब तक हम यह नहीं समझेंगे कि पैसे को कैसे प्रबंधित किया जाता है, हम उसके दास बने रहेंगे। 

पुअर डैड की सोच: 

“पैसा बचाओ, बचाओ, और फिर भी काम करते रहो।” 

रिच डैड की सोच: 

“निवेश करो, संपत्ति बनाओ, और अपने लिए काम करने दो।” 

यह दो धारणाओं का अंतर ही जीवन के दो रास्तों का अंतर है—एक जहां आप सारा जीवन काम करते रहेंगे, और दूसरा जहां आप अपने लिए वित्तीय स्वतंत्रता के दरवाजे खोलेंगे। 

बचत नहीं, निवेश है सही रास्ता 

पुअर डैड की शिक्षा थी कि पैसा बचाना चाहिए, क्योंकि यही सुरक्षित है। लेकिन रिच डैड ने सिखाया कि अगर पैसा बस बैंकों में पड़ा है, तो वह धीरे-धीरे अपनी शक्ति खोता जाता है। निवेश ही वह तरीका है, जिससे हम अपने पैसों को बढ़ा सकते हैं। 

निवेश के शब्द: 

“जो पैसा आज ठहरा है, 

वह कल हार जाएगा। 

पर जो पैसा आज बढ़ेगा, 

वह कल तुम्हें जीतेगा।” 

 

निष्क्रिय आय: जीवन का सच्चा धन 

पुस्तक का एक और महत्वपूर्ण संदेश है—निष्क्रिय आय। वह आय जो आपके सक्रिय रूप से काम किए बिना आती है, वही असली धन है। चाहे वह किराए से हो, या शेयरों के डिविडेंड से, निष्क्रिय आय ही आपको वित्तीय स्वतंत्रता की दिशा में आगे ले जाती है। 

सक्रिय आय और निष्क्रिय आय: 

“सक्रिय आय की डोर तुम्हें थामे रहती है, 

पर निष्क्रिय आय तुम्हें पंख देती है।” 

 

वित्तीय शिक्षा: जीवन की असली पाठशाला 

हमारे स्कूल हमें पढ़ाते हैं, अच्छी नौकरी पाने का रास्ता। पर क्या वे हमें सिखाते हैं, पैसे का प्रबंधन कैसे करें? क्या वे हमें बताते हैं कि संपत्ति कैसे बनानी है? नहीं। यही कमी है जिसे रिच डैड ने पहचाना और हमें सिखाया कि असली शिक्षा वही है, जो हमें वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाती है। 

शिक्षा की कविता: 

“डिग्री से मिलती है एक कुर्सी, 

पर समझ से मिलता है सिंहासन। 

पैसा है वो नदी, 

जो सागर तभी बने, जब तुम उसे बहाओ।” 

 

जोखिम और साहस 

रॉबर्ट ने अपने जीवन में सीखा कि बिना जोखिम उठाए आप कभी भी ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकते। अगर आप सिर्फ सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो हो सकता है कि आप कभी अमीर न बन पाएं। मगर सही दिशा में उठाए गए छोटे-छोटे जोखिम आपको आर्थिक स्वतंत्रता की ओर ले जाते हैं। 

साहस का गीत: 

“जो डर के आगे बढ़ा, 

उसने ही आसमान पाया। 

जो जमीं से बंधा रहा, 

वह बस जमीन का ही रहा।” 

 

संपत्ति का निर्माण 

पुस्तक हमें यह सिखाती है कि अगर हमें अमीर बनना है, तो हमें अपनी संपत्ति का निर्माण करना होगा। इसका मतलब है कि हमें ऐसी चीजों में निवेश करना होगा जो हमारे लिए पैसे बनाएं, जैसे रियल एस्टेट, स्टॉक, या कोई बिजनेस। 

संपत्ति की राह: 

“संपत्ति वो पौधा है, 

जो आज बोया गया, 

और कल तुम्हें छांव देगा।” 

 

निष्कर्ष: सोच बदलो, जीवन बदलो 

“रिच डैड और पुअर डैड” हमें सिर्फ पैसे के बारे में नहीं सिखाती, यह हमें सोचने का तरीका सिखाती है। यह हमें बताती है कि कैसे हमारे विचार ही हमारे भविष्य को आकार देते हैं। अगर हम पैसे के पीछे भागते रहेंगे, तो हम कभी आर्थिक रूप से स्वतंत्र नहीं हो पाएंगे। लेकिन अगर हम पैसे को समझकर, उसे हमारे लिए काम करवाएंगे, तो हम जीवन में सचमुच आजाद हो सकते हैं। 

अंतिम पंक्तियां: 

“सोच बदलो, रास्ते बदलेंगे। 

रास्ते बदलो, मंजिलें मिलेंगी। 

मंजिलें मिलेंगी, तो सफर आसान होगा। 

सफर आसान होगा, तो जीवन महान होगा।” 

प्रश्न

  1. “रिच डैड और पुअर डैड” से सबसे बड़ा सबक क्या है?

इस पुस्तक का सबसे बड़ा सबक यह है कि हमें पैसे के लिए काम नहीं करना चाहिए, बल्कि पैसे को हमारे लिए काम करवाना चाहिए। 

  1. क्या मैं बिना निवेश किए अमीर बन सकता हूँ?

निवेश के बिना, धन का निर्माण मुश्किल है। यह जरूरी है कि आप अपने पैसों को बढ़ाने के लिए सही जगह निवेश करें। 

  1. निष्क्रिय आय कैसे उत्पन्न की जा सकती है?

निष्क्रिय आय के लिए आप रियल एस्टेट, स्टॉक्स, या व्यापार में निवेश कर सकते हैं। 

  1. क्या केवल नौकरी से आर्थिक स्वतंत्रता संभव है?

नौकरी से स्थिर आय मिल सकती है, लेकिन आर्थिक स्वतंत्रता के लिए निवेश और निष्क्रिय आय की जरूरत होती है। 

  1. क्या वित्तीय शिक्षा स्कूलों में दी जाती है?

अधिकांश स्कूल वित्तीय शिक्षा नहीं देते, यह खुद से सीखने की जरूरत है।


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