Improve your inner personality
Motivational book
हर किसी व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि वह अपनी पर्सनैलिटी को ज्यादा से ज्यादा इफेक्टिव या अट्रैक्टिव बनाएं और इसके लिए वे अपने आप में बहुत सारे चेंजेज भी करते हैं। क्योंकि आपकी सफलता और असफलता में व्यक्तित्व की अहम भूमिका होती है।
अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी वाला व्यक्ति सफलता के मुकाम को बहुत जल्दी प्राप्त कर लेता है इसलिए हमें उन चीजों पर फोकस करना चाहिए जो हमारी पर्सनैलिटी को इफेक्टिव वह अट्रैक्टिव बनाते हैं।
अरुण सागर आनंद की यह पुस्तक “इंप्रूव योर इनर पर्सनैलिटी” आपकी उन प्रॉपर्टीज (गुण) को इनक्रीस करने में हेल्प करेगी जो आपकी पर्सनैलिटी के लिए इंपोर्टेंट है।
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1. दूसरों को दोषी ना ठहराए – हम सभी सामाजिक प्राणी हैं और समाज में रहकर ही एक दूसरे की सहायता से ही जीवन व्यतीत करते हैं । हमारे आसपास ऐसे बहुत से निकटतम लोग होते हैं जो हमारा सहारा बनते हैं और बहुत से नही भी बनते । लेकिन दिक्कत तब होती है जब हम पूरी तरह से दूसरों पर डिपेंड हो जाते हैं और हमारा कार्य बिगड़ने पर हम उन्हें पूरी तरह दोषी ठहराने लग जाते हैं।
• मान लीजिए आप कोई चीज ढूंढ रहे हो और वह आपको नहीं मिलती है तो आपके दिमाग में आएगा कि वह किसी ने उठा ली होगी।
• चलते-चलते आपकी कार एका – एक रुक जाती है तो सारा दोस्त मैकेनिक के ऊपर डाल देते हैं।
• घर का खर्च यदि बजट से अधिक होने लगे पत्नी पर शक हो जाता है कि उसने फिजूलखर्ची की होगा।
ऐसा नहीं है कि आप बिगड़े कार्यों के लिए दूसरों को दोषी बिल्कुल न ठहराए, लेकिन उन्हें दोषी मानने से पहले यह सोचे कि कहीं आपके स्तर पर तो कोई कमी नहीं रही है
अपनी कमी छुपाकर क्यों दूसरों को ही दोषी ठहराने जैसी आदत बिल्कुल भी अच्छी नहीं है
2. मित्र बनाना जरुरी – जीवन को आनंद के साथ जीने के लिए अच्छे दोस्त होना बहुत जरूरी है। दोस्तों के साथ उठना-बैठना , उनके साथ अच्छे बुरे विचारों को शेयर करना, समस्याओं पर विचार विमर्श करना जीवन के तनाव को हल्का करते हुए माहौल को खुशनुमा बनाते हैं । लेकिन कुछ लोग नए दोस्त बनाने में हिचकते हैं ऐसे लोगों को मनोविज्ञान अंतर्मुखी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति कहता है। वह दूसरों से मिलने जुलने में कठिनाई महसूस करते हैं लेकिन अगर ऐसे लोग किसी के दोस्त बन जाते हैं तो दोस्ती को बखूबी निभाते हैं।
अगर आपके भी दोस्त नहीं है तो जाने दोस्त बनाने के कुछ तरीके —
• लोगों को जाने ………………………….
• अच्छे श्रोता बने……………………………..
• जो है वही नज़र आए…………………..
• बिना सोचे समझें रिश्ते न बनाएं……………
• नई जगह तलाश करे …………………….
• अच्छे दिखे, अच्छा महसूस करे ……………
3. चिन्ता की चिता से दूर रहना – “ चिंता, चिता से भी भयंकर होती है क्योंकि चिता तो निर्जीव लाश को जलाती है परंतु चिंता सजीव शरीर को जला देती है”
व्यक्ति अपनी पर्सनैलिटी को इफेक्टिव बनाना चाहता है लेकिन यह चिंता नाम का रोड़ा हमेशा राह में भयंकर बाधा उत्पन्न कर देती है इसलिए इससे दूर रहना बहुत जरूरी है और इसे दूर रखने के लिए आपको कुछ व्यवहारिक उपायों को सीखना अति आवश्यक है।
• अपने आपको ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखने का प्रयास करना चाहिए ।
• हमेशा केवल एक बार में एक ही विषय पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए।
• भविष्य के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए केवल वर्तमान पर फोकस रखें।
• जिस बारे में आप चिंतित हो उसका मूल कारण ढूंढिए और उसे दूर करने का प्रयास करें।
• अपने दुश्मनों की प्रति भी विनम्रता का भाव रखें और उन्हीं भी अपना दोस्त बनाइए।
• आप जो भी कार्य करते हो उस कार्य को भी अपना दोस्त बनाइए।
• आलोचना के बारे में बिल्कुल चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह तो व्यक्तित्व को निखारने में मार्गदर्शन का काम करती है।
• नींद की चिंता बेकार है क्योंकि नींद ना आने की वजह से लोग कभी नहीं मरते, परंतु नींद की चिंता से लोग मर जाते हैं।
4. मानसिक शक्ति — मित्रों ! यदि आपकी मानसिक शक्ति स्ट्रांग है तो आप एक पावरफुल इंसान हो और यदि आपकी मेंटालिटी पावर ( मानसिक शक्ति ) वीक है तो इस वीकनेस की वजह से शरीर में बहुत सारे डिफेक्ट पैदा हो जाएंगे विकार उत्पन्न हो जाएंगे।
मेंटालिटी पावर होती क्या है “ कोई भी ऐसा कार्य जिसे आप कम से कम समय में और कम से कम परिश्रम से अच्छी प्रकार से पूर्ण करते हैं तो यह आपकी मेंटालिटी पावर की दक्षता से किया हुआ कार्य कहा जाएगा।“
साथियों! क्या आप लोगों को पता है कि हम अपनी मेंटालिटी पावर का 10 परसेंट भी यूज़ में नहीं लाते । नब्बे परसेंट हिस्से को तो हम सुप्त अवस्था में रहने देते हैं हमें उस मेंटालिटी पावर के नब्बे परसेंट हिस्से को जागृत करके यूज़ में लाना होगा तब जाकर हम उस डेस्टिनेशन को अचीव कर पाएंगे जिसके हम ड्रीम्स देखते हैं।
कई बार लोगों के माइंड में यह क्वेश्चन आता है की क्या कोई उपाय है जिससे बुद्धि में ग्रो किया जा सके। इसका आंसर है कि, हां बुद्धि में ग्रो किया जा सकता है बशर्ते आपकी लर्निंग एबिलिटी में कंटिन्यूटी होना चाहिए । लगातार आपको सीखते रहना चाहिए।
साथियों! जिनकी एज 40 साल के पार हो गई है ऐसे लोग अक्सर यह सोचते हैं कि अब उनकी कुछ भी सीखने की उम्र नहीं रही है और सीखने से कोई लाभ भी नहीं होगा।
ऐसे लोगों के लिए साइकोलॉजी कहती है कि शरीर युवावस्था के बाद भले ही बूढ़ा होने लगता है लेकिन आपके मन और माइंड की एबिलिटी हमेशा बरकरार रहती है और वृद्धावस्था तक बढ़ती रहती है। बशर्ते लर्निंग ग्रोथ में continuity बनी रहे ।
इम्प्रूव योर इनर पर्सनैलिटी
इसलिए साथियों अरुण सागर आनंद की यह पुस्तक ” इम्प्रूव योर इनर पर्सनैलिटी “ को आप अवश्य ही पढ़े और अपने अंदर की जो पर्सनैलिटी है उसमें ग्रो करें और अपने जीवन को आनंद के साथ व्यतीत करें ।