समरसता गीत

समरसता का दीप जलाएं  समरसता का दीप जलाएं, प्यार-मुहब्बत साथ बढ़ाएं। जाति-धर्म के भेद मिटाकर, भाईचारे की राह दिखाएं।। आओ मिलकर करें ये वादा, भेदभाव को दूर भगाएं। भीमराव के सपनों का भारत, हर कोने में खुशी सजाएं।। समरसता का दीप जलाएं, प्यार-मुहब्बत साथ बढ़ाएं। समानता की बात करें हम, उन्नति की पहचान बनाएं। दूर करें अज्ञान का अंधेरा, ज्ञान रूप प्रकाश फैलाएं।। समरसता का दीप जलाएं, प्यार-मुहब्बत साथ बढ़ाएं। भेदभाव की दीवार गिराकर, नया सवेरा हम लाएं। सब को पूरा मान मिले, ऐसा सुंदर कल बनाएं।। समरसता का दीप जलाएं, प्यार-मुहब्बत साथ बढ़ाएं।    समरसता दिवस ( samarasata diwas

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समरसता दिवस

समरसता दिवस का परिचय ( samarasata diwas )  समरसता दिवस भारत मे सामाजिक समानता और एकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन का उद्देश्य “समाज मे जाति, धर्म और आर्थिक असमानताओ को समाप्त करना और सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करना है।” समरसता दिवस का मुख्य संदेश यही है कि समाज में सभी को समान दृष्टि से देखा जाए और किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त किया जाए।  समरसता दिवस का ऐतिहासिक महत्व  ( Historical importance of samarasata diwas ) समरसता दिवस मनाने की प्रेरणा भारत रत्न डॉ.

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संस्कृत श्लोक

“काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वाननिद्रा तथैव च।  अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणम्॥”  इसका अर्थ है कि एक विद्यार्थी को कौए की तरह चेष्टाशील, बगुले की तरह ध्यान केंद्रित करने वाला, कुत्ते की तरह अल्प निद्रा लेने वाला, कम खाने वाला और घर के मोह को त्यागने वाला होना चाहिए।    काक चेष्टा (कौए की तरह प्रयासशीलता) कौआ बहुत ही सतर्क, बुद्धिमान और परिश्रमी पक्षी होता है। उसकी जिज्ञासा और लगातार प्रयास करने की प्रवृत्ति हमें सिखाती है कि हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर मेहनत करनी चाहिए।  धैर्य और परिश्रम: विद्यार्थी को कभी हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि

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                                    गणतंत्र दिवस व वार्षिक उत्सव   आज क्या है – गणतंत्र दिवस                                                       बच्चे बूढ़े सभी जवान, कहते हैं गणतंत्र महान    सारे जहा से अच्छा हिंदुस्तान हमारा                                                    है मेरा  गणतंत्र विशेष   हरता है जन-जन का क्लेश   जन जन के मन का बन प्यारा,  अमर रहे गणतन्त्र    हमारा.                          वन्दे मातरम / भारत माता की जय                                  इन्कलाब  जिन्दाबाद   Starting of function  नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्  समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्  मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिकम्  नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥     

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26 January

26 january speech in hindi 26 जनवरी, हर भारतीय के लिए गर्व, बलिदान और नए आरंभ का प्रतीक है। इस दिन की महत्ता को समझने के लिए हमें इतिहास के उन सुनहरे पन्नों को पलटना होगा, जहां भारत की आजादी और गणराज्य बनने की यात्रा अंकित है। कहानी की शुरुआत: आजादी की लड़ाई का स्वप्न साल 1929 का लाहौर अधिवेशन, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य (पूर्ण स्वतंत्रता) का संकल्प लिया। 26 जनवरी 1930: इसी दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया

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सरदार वल्लभ भाई पटेल

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म और प्रारंभिक जीवन  सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। उनका जन्म एक साधारण, परंतु संस्कारित और राष्ट्रप्रेमी किसान परिवार में हुआ। पिता झावेरभाई पटेल एक सशक्त स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 के विद्रोह में भाग लिया था, जबकि मां लाड़बाई धार्मिक और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाली महिला थीं। वल्लभ भाई का जीवन बचपन से ही कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन इन चुनौतियों ने उन्हें कभी पीछे नहीं हटने दिया।  उनका बचपन बहुत साधारण था। गांव की धूल भरी पगडंडियों पर खेलते हुए, खेती

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जीवन के दो रास्ते  कभी-कभी जिंदगी हमें दो रास्तों पर लाकर खड़ा कर देती है—एक वो, जहाँ हम अपने सपनों को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं, और दूसरा वो, जहाँ हम अपने डर को मात देकर उन सपनों को साकार करते हैं। रॉबर्ट कियोसाकी की पुस्तक “रिच डैड और पुअर डैड” हमें इन्हीं दो रास्तों की कहानी सुनाती है। यह कहानी है, धन और गरीबी की, संघर्ष और सफलता की, सीमाओं से परे जाकर नए आयामों को छूने की।  दो पिता, दो विचारधाराएं  रॉबर्ट के जीवन में दो पिता थे—एक ‘पुअर डैड’, उनके जैविक पिता, और एक ‘रिच डैड’,

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जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहरलाल नेहरू का पारिवारिक जीवन बेहद भावुक और समृद्ध था, जो उनकी संघर्षशीलता और संवेदनशीलता को और भी गहराई से उजागर करता है। नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद के एक सम्पन्न और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। उनके पिता, पंडित मोतीलाल नेहरू, एक प्रख्यात वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी नेता थे। मोतीलाल नेहरू ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया, और उन्होंने अपने बेटे जवाहरलाल में भी यही देशभक्ति की भावना जगाई।  नेहरू जी की माता, स्वरूपरानी नेहरू, एक धार्मिक और पारंपरिक भारतीय महिला थीं। वे अपने

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करवा चौथ

परिचय: करवाचौथ का महत्व   करवाचौथ भारतीय महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे मुख्य रूप से उत्तर भारत में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए मनाती हैं। यह त्योहार उनके सच्चे प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है। करवाचौथ का व्रत कठोर होता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहती हैं। करवाचौथ की कहानी     वीरवती की कथा: प्रेम और तपस्या की मिसाल वीरवती एक अत्यंत सुंदर और प्रिय राजकुमारी थी। वह अपने सात भाइयों की एकमात्र बहन थी, और

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baba siddique

बाबा सिद्दीकी, जो एक पूर्व महाराष्ट्र मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के वरिष्ठ नेता थे, की 12 अक्टूबर 2024 को मुंबई के बांद्रा इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना उस समय हुई जब सिद्दीकी अपने बेटे और महाराष्ट्र के विधायक जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के पास दशहरा के अवसर पर पटाखे जला रहे थे। तीन हमलावरों ने अचानक हमला कर दिया और 9.9 मिमी की पिस्तौल से गोलीबारी की, जिससे बाबा सिद्दीकी को पेट और छाती में गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह बच नहीं सके। इस घटना के बाद दो

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