गणतंत्र दिवस व वार्षिक उत्सव
आज क्या है – गणतंत्र दिवस बच्चे बूढ़े सभी जवान, कहते हैं गणतंत्र महान
सारे जहा से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
है मेरा गणतंत्र विशेष हरता है जन-जन का क्लेश जन जन के मन का बन प्यारा, अमर रहे गणतन्त्र हमारा.
वन्दे मातरम / भारत माता की जय इन्कलाब जिन्दाबाद
Starting of function
नमामि ते गजाननं अनन्त मोद दायकम्
समस्त विघ्न हारकं समस्त अघ विनाशकम्
मुदाकरं सुखाकरं मम प्रिय गणाधिकम्
नमामि ते विनायकं हृद कमल निवासिनम्॥१॥
अथवा
भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्
बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्
धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्
भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥२॥
बड़े ही परम हर्ष का विषय है की आज एक बार फिर हम सभी गणतंत्र के इस राष्ट्रीय दिवस को मनाने के लिए इस विद्यालय परिसर में एकत्रित हुए है
सभी बच्चे पुरे जोश के साथ मेरे साथ साथ इन पक्तियो दोहराएंगे
तीन रंग में रंगी हुयी है अपनी ये पहचान
तिरंगा शान हमारी ,तिरंगा जान हमारी
झंडा ऊंचा रहे हमेशा देश का है अभिमान
तिरंगा शान हमारी ,तिरंगा जान हमारी
इसी भरपूर देश भक्ति के साथ इस ऐतिहासिक उत्सव को सम्पूर्ण देश में हरवर्ष बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है
प्यारे बच्चों – हम सभी को यह पता होना चाहिए कि हम लोग गणतंत्र दिवस क्यों मनाते है ?
26 जनवरी 1950 को हमारा सविधान लागु हुआ और हमें पूर्ण प्रभुता सम्पन्न गणतंत्र होने का गौरव प्राप्त हुआ।
यानि हमारे सविधान के अनुसार हमें देश चलाने का अधिकार प्राप्त हुआ।
आज 26 जनवरी 2025 को हम 76 वां गणतंत्र दिवस मना रहे है और आज ही के दिन पुरे देश में एक साथ ध्वजारोहण किया जाता है और विभिन्न प्रकार के देश भक्ति, सांस्कृतिक ,प्रतिभा सम्मान आदि कार्यक्रमो के द्वारा इस दिन को उत्साह के साथ मनाया जाता है।
देश हमारी आन है देश हमारी शान है , आन आन पर शान शान पर मर मिटते जवान है।
आज के इस आजादी के दिन देते इन्हे सम्मान है ,तीन रंग का ध्वज लहराकर करते इन्हें प्रणाम है।
इन्हीं पंक्तियों के साथ में आग्रह करता हु हमारे प्रधानाध्यापक जी से कि वे ध्वजारोहण कार्यक्रम को सम्पन्न करे। राष्ट्रगान बोलने के लिए में आमंत्रित करता हु को मंच पर आये और राष्ट्रगान का उच्चारण करे।
………..ध्वजारोहण। ….
( सभी एक साथ एक आवाज में बोलेंगे – भारत माता की जय )
देखिये बच्चों , आज गणतंत्र दिवस के साथ साथ हम हमारेे विद्यालय के एनुअल फंक्शन यानि वार्षिक उत्सव का भी आयोजन कर रहे है। अब हमें यहाँ , यह जानना जरुरी है कि विद्यालय में एनुअल फंक्शन मनाने के पीछे क्या उद्देश्य हो सकते है। चलिए, पांच बिंदुओ के द्वारा समझने का प्रयास करते है।
1 . टैलेंट शो करने का प्लेटफॉर्म है एनुअल फ़क्शन – हर स्टूडेंट्स में कोई न कोई स्पेशल इंट्रेस्ट् या टैलेंट होता है जैसे कि डांस करना ,सिंगिंग करना , आर्ट या ड्रामा करना | स्कूल में एनुअल फंक्शन , बच्चों के टैलेंट को दिखाने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाता है।
2 . कॉन्फिडेंस लेवल ग्रो करता है एनुअल फंक्शन – जब स्टूडेंट्स ,ऑडियंस के सामने परफॉर्म करते है तब उनमे सेल्फ़ कॉन्फिडेंस यानि कि आत्मविश्वास बढ़ जाता है और यही आत्मविश्वास उनके पर्सनल और एजुकेशनल जीवन में सहायक होता है एक कॉंफिडेंट छात्र परिस्थितियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है।
3 . स्कूल्स एंड पेरेंट्स के बीच कनेक्टविटी बढ़ती है – स्कूल्स के द्वारा एनुअल फंक्शन के लिए पेरेंट्स को invite किया जाता है अपने बच्चो की परफॉरमेंस को देखकर पेरेंट्स को ख़ुशी होती है और साथ ही विद्यालय के प्रति कनेक्टविटी बानी रहती है
4 . बच्चे पुरुस्कार प्राप्त करके मोटिवेट होते है – स्कूल्स के द्वारा सालभर की गई एक्टिविटीज़ के लिए स्टूडेंट को विभिन्न प्रकार के रिवार्ड्स दिए जाते है जिन्हें प्राप्त करके बच्चे मोटिवेट होते है और फ़्यूचर में अच्छे कार्यो के अग्रसर होते है।
5 . फण्ड कलेक्शन – भामाशाहों के माध्यम से फण्ड एकत्रित करना भी एक उद्येश्य होता है एनुअल फंक्शन का।
इन सब पॉइंट ऑफ़ व्यू को देखते हुए विद्यालय में एनुअल फंक्शन मनाया जाता है।
सरस्वती वंदना ––
तो चलिए शुरुआत करते है आज के इस कार्यक्रम को देवी की मंगलमय स्तुति के साथ।
पावन जोत जगे मन में तम दुर करो भर दो उजियारो -2
जीवन के सब सार लिखे नित लेखन पाठन और निखारो
मान तजे ,अभिमान तजे ,तज ,ओरन को यह दास निहारो -२
साधक आज करे विनती ,अब मात –कृपा कर आन पधारों।
बच्चों ! क्या आप सभी को पता है कि हिन्दू संस्कृति में किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत दैवीय स्तुति से क्यों किया जाता है। ]
1 . यह हिन्दू संस्कृति की प्राचीन परम्परा है जो हजारो वर्षो से चली आ रही है यह हमें सांस्कृतिक जड़ों से जोड़े रखती है।
2 . दैवीय स्तुति से वातावरण में विद्यमान कलुषिता नष्ट हो जाती है और नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
3 किसी भी कार्य को शुभ और सफ़ल बनाने के लिए ईश्वर के नाम से प्रारम्भ किया जाता है
4 कार्यक्रम की शुरुआत में ईश्वर को याद करके हम यह कामना करते है कि हमारा कार्यक्रम बिना बाधाओं के सम्पन्न हो जाये।
तू विद्या की देवी है और तू ही कला की दाता है।
तू संगीत से झोली भर दे तू ही सबकी माता है।
[माँ सरस्वती तेरे चरणों में हम शीश झुकाने आये है। दर्शन की भिक्षा लेने को दो नयन कटोरे लाये है। ]
[ है शारदे माँ है शारदे माँ , अज्ञानता से हमें तार दे माँ ]
[तेरे चित्र फलक पर माता ,हम सब शीश नवाते है। तिलक लगाकर दीप जलाकर प्यारे फूल चढ़ाते है ]
[वर दो माता शारदे ,विद्या का दो ज्ञान। ज्ञान बुध्दि से युक्त हो ,मिटे सकल अज्ञान। ]
[सरस्वती के नाम से ,कलुष भाव हो अंत। शब्द सृजन होवे सरस ,रसना हो रसवंत। ]
तो आइए हम विद्यादायिनी ,कलादायिनी ,संगीतपूर्णा माँ सरस्वती को कोटि –कोटि नमन करते हुए उसके चित्र –फलक के समक्ष दिव्य ज्योति को प्रज्ज्वलित करते है।
इसके लिए में आग्रह करूँगा हमारे प्रधानाध्यापक जी से , वह आए और देवी सरस्वती के छवि –चित्र पर माला पहनाकर,धुप –बत्ती करते हुए कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत करे
अथिति सत्कार —
कार्यक्रम की मंगलमय शुरुआत होने के बाद , अब समय हो गया है स्वागत सत्कार का भारतीय संस्कृति के अनुरूप ‘ अथिति देवों भवः ‘ की परम्परा को निभाते हुए सभी अभिभावकों का स्वागत करेंगे
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धीमी आवाज में सांग प्ले – प्रणतिभावैर्व्याहरामः स्वागतं शुभवंदनं
अब में बुलाना चाहूंगा विद्यालय की छात्राओं को। ………………………वे मंच पर आये और स्वागत नृत्य प्रस्तुत करे।
पीटी प्रदर्शन —
अब बात कर लेते है व्यायाम के बारे में
व्यायामात लभते स्वास्थ्यं ,दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं, स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनं।
व्यायाम से अच्छा स्वास्थ्य ,लम्बी आयु ,बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और अच्छे स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते है
शरीर का हर अंग, हर मांसपेशी और हर जोड़, एक घड़ी के पुर्जों की तरह काम करता है। अगर यह पुर्जे सही से न चलें, तो घड़ी बंद हो जाती है। व्यायाम इन पुर्जों को तेल देने का काम करता है, जिससे हमारा शरीर बिना रुके, बिना थके चलता रहता है।
जब हम दौड़ते हैं, कूदते हैं, या योग करते हैं, तो हमारा दिल खुशी से धड़कता है। रक्त तेज़ी से बहता है और शरीर को ऑक्सीजन की नई ताजगी मिलती है। फेफड़े खुलकर सांस लेते हैं,
तो चलिए इसी तरह का योगाभ्यास पीटी के माध्यम से करवाने के लिए पीटीआई जी सर को बुलाना चाहूंगा। वे आये और बच्चो से पीटी प्रदर्शन करवाए।
सांस्कृतिक कार्यक्रम —
अब वो समय है जब बच्चे एक एक करके आएंगे
और मंच पर अपनी प्रतिभा से धूम मचायेंगे
भिन्न भिन्न वेशभूषा में भिन्न भिन्न गीत संगीत से
देश की विभिन्नताओं में एकता का परिचय कराएँगे।
जी हाँ ! अब वो समय है जब बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन मंच पर करेंगे। । इसके लिए में सर्वप्रथम ……….
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