Type Of communication संवाद के प्रकार

Type Of communication संवाद के प्रकार


  • संवाद क्या है ,यह कितने प्रकार का होता है ?
  • संवाद का अर्थ क्या होता है ये कितने लोगो के बीच होता है ?
  • संवाद की विशेषता क्या है ?
  • संवाद से आप क्या समझते है कौन सा संवाद अच्छा माना  जाता है ?
  • संवाद लेखन क्या है और कैसे करें।

opinion and likes को Express करने के लिए communication effective माध्यम है। आज के जबरदस्त competitive world में effective communication  का  महत्व कही और ज्यादा है। इसमें तीन प्रकार के communication है written, non-verbal, and oral । इसमे सुनने का एक और important पहलु भी शामिल है। इसमें बहुत सी विशेषताएं होती है, जिनमें से कुछ इस प्रकार है|

• संवाद सिर्फ सूचना देने या बातचीत से अलग चीज होता है। सूचना हमेशा logical, formal and non-personal होती है। बात करना एक तरफा होता है और अनॉपचारिक बातचीत के पीछे आमतौर पर कोई तय कारण नहीं होते ।

• संवाद expectations पर आधारित होता हैं। लोग वहीं बाते सुनते हैं, जिसकी वे expectation करते है औऱ जो चीज़ unexpected होती हैं, उसे या तो ignore कर दिया जाता है या उसे गलत ढ़ंग से समझा जाता है।

written communication ( लिखित संवाद )

जो सुना या कहा जाता है उसका effect एक मिनट तक रहता है, लेकिन जो चीज written में कही जाती है, उसका effect long time तक रहता है और ज्यादा effective होता है। ऐसी कई opportunities होती है , जब आप Personal note, appreciation, request या written में जवाब तलब करते है। service के लिए boidata भेजना भी written communication का important पहलु है। desired effect के लिए जरूरी है कि इसे प्रभावशाली ढंग से लिखा जाए।

• लिखने का समय निर्धारित न कीजिए। इसके लिए कोई time तय नही किया जा सकता, , क्योंकि इसके लिए ideas का proper flow जरूरी है|

• अच्छे कागज़ का use कीजिए। इसके अलावा आप नोटकार्ड रख सकते है, जो बाजार मे बने बनाए बिकते हैं। लिखते समय अपने heart and feelings को उड़ेल दीजिए, event and situation का ज़िक्र कीजिए।

• Small words का इस्तेमाल कीजिए, because इन्हें समझने में आसानी होती है यह आपके सन्देश को effective ढंग से पहुचाते है। बेवजह और महत्वकांक्षी शब्दों से बचना चाहिए। लिखित सामग्री को दोबारा पढ़िए ओर यह देखिए की किसी बड़े शब्द को small किया जा सकता है क्योंकि एक शब्द से बेहतर दो शब्द होते हैं

• उपहारों और किसी की मदद मिलने पर thank you नोट भेजने की आदत डालिए। टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट तक आसान पहुंच ने लिखने की जरूरत को बहुत नुकसान पहुंचाया है ।

सही सबक-   गौतम बुद्ध उपदेश दे रहे थे, उसी दौरान एक आदमी गाली गलौज कर बाधा डालने लगा । जब वह गाली गलौज करके शांत हो गया तो बुद्ध ने पूछा है यदि कोई व्यक्ति दूसरे को उपहार देता है लेकिन लेने वाला इंकार कर देता है तो उपहार किसका हुआ? जवाब में उस व्यक्ति ने कहा जिसने उपहार दिया उसका हुआ । बुद्ध ने कहा तो मैं तुम्हारी गालियों को स्वीकार करने से इनकार करता हूं और निवेदन करता हूं कि तुम इसे अपने पास ही रखो ।

non verbal communication ( ग़ैर-मौखिक संवाद

कई बार आप बगैर बोले बहुत सी चीजें कर देते हैं किसी खास जिस समय किसी जगह पर आप की मौजूदगी सही संदेश दे देती है इसी तरह संकट के वक्त हाथ छूकर आप अपनी भावनाओं का प्रदर्शन कर देते हैं जो आपके कुछ शब्द नहीं कर सकते यह गैर मौखिक संवाद है और इसके विभिन्न तथ्य इस प्रकार है।
मुस्कराहट – चेहरे पर आने वाला भाव है जो यह संकेत देता है कि आप खुश सकारात्मक मूड में हैं और आप से बातचीत की जा सकती है मुस्कुराहट को सबसे प्रभावी गैर मौखिक संवाद माना जाता है

• मुस्कुराहट सकारात्मक रूप और दूसरे व्यक्ति के प्रति गर्मजोशी तथा सम्मान का संकेत देती है

• आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए शीशे के सामने मुस्कुराने का अभ्यास कीजिए

• सही समय पर मुस्कुराइए जिसे लोग समझ सके

छूना – यह एक और संवेदी तंत्र है, जिसे संवाद की श्रेणी में डाला जा सकता है। हालांकि इसका इस्तेमाल सोच समझकर किया जाना चाहिए, क्योंकि जैसे ही आप किसी दूसरे को छूते हैं, आप उसकी निजता में दखल देते हैं। इसलिए छूने का सही तरीका सीखना चाहिए, जिससे कि आप सही संकेत दे सके ।

• दूसरे व्यक्ति के हाथ में कोहनी और कलाई के बीच धीरे से अपना हाथ डालिए। कुछ मामलों में कंधे पर भी हाथ रखा जा सकता है । इसके अलावा अन्य किसी दूसरे स्थान पर हाथ नहीं रखना चाहिए । यदि कोई प्रतिरोध हो तो तुरंत हाथ हटा लेना चाहिए।

• छूकर आप गर्मजोशी , निकटता और दूसरे को समझने का एहसास दिलाते हैं । छूकर किसी व्यक्ति पर अपनी इच्छा थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

पहनावा – जब आप अच्छे दिखते हैं तो आप अच्छा महसूस भी करते हैं। जब आप सही पहनावे में होते हैं तो लोगों की नजरे आप पर पड़ती हैं । दूसरा पक्ष चेतन या अचेतन भाव से यह सोचता है कि आप भी उनमें से एक है और यह एक तरह का संवाद होता है। ध्यान रहे इससे पहले कि आप एक भी शब्द बोले आप की वेशभूषा आप की पहली छवि छोड़ चुकी होती है। हमेशा मौके को ध्यान में रखते हुए कपड़ा पहने । याद रखें किसी शहर विशेष में पहने जाने वाले कपड़े, दूसरे शहर में उसी मौके पर पहने गए वहीं कपड़े सही नहीं माने जा सकते ।

मौजूदगी- यह किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षमता का संकेत देती है । व्यक्ति में ऐसी कोई विशेष बात होती है, जो दूसरों पर स्थाई या गहरी छाप छोड़ जाती है। इसमें सोच , धारणा और मानसिक क्षमता भी शामिल है । इसलिए जिस व्यक्ति से आपकी मुलाकात हो रही है, उस पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि आपको क्या भूमिका निभानी है और दूसरा व्यक्ति आप से क्या अपेक्षा रखता है। लिहाजा आपकी शारीरिक के साथ-साथ मानसिक मौजूदगी भी बेहद जरूरी है । ऐसा कीजिए जिससे लोग आप की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखें और आपकी शारीरिक भाषा ( बॉडी लैंग्वेज )भी आप द्वारा बोले गए शब्दों के अनुरूप हो ।

body language बॉडी लैंग्वेज-

आप प्रतीकों और इशारों से भी संदेश दे सकते हैं, यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है । गलत इशारा, उठने बैठने का गलत ढंग या चेहरे पर गलत भाव आप को अकल्पनीय नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चेहरे के भाव-
मुस्कराहट — मित्रता, खुशी
तनी भौहें — आश्चर्य या हैरत
भिंची आँखे, टेड़े होट— नाराजगी
भिंचे होट — अनिश्चितता, गोपनीयता
खड़े होने की स्थिति
कमर पर हाथ — नाराजगी, रक्षात्मक मुद्रा
कंधे झटकना — मतभेद
कुर्सी के किनारे पर बैठना — सुनना, ज्यादा दिलचस्पी
कुर्सी पर पड़ जाना — बोर होना, दिलचस्पी खो देना
आँखों का मिलना
सीधी नजर — ध्यान से सुनना
नजर डालना — दिलचस्पी लेना
पलकें बंद करना — दिलचस्पी न होना
हाव-भाव
हाथ बांधकर खड़े होना — आशंकित
दोनो ओर खुले हाथ — सलाह सुनने को तैयार
हाथ पकड़े रहना — बोलने का इंतजार
बॉडी लैंग्वेज
खुली हथेली — ईमानदार होने का संकेत
टेबल पर हथेली, जिसका मुँह नीचे की ओर हो — निश्चय
गाल पर हाथ — स्थिति का आकलन
माथे पर हाथ — गहरी सोच में
आगे की ओर झुकी शरीर — जिघ्यासा
एक जैसी मुस्कराहट — ईमानदारी से सराहना
कंधो को घुमाना — सकारात्मक
सर नीचे या हाथ पीछे — चिंतन
सीधा शरीर या तेज चाल — चुस्त दुरुस्त और सक्रिय
आंख से आंख मिलाना — आत्मविश्वास
नकारात्मक
बार बार स्थान बदलना — बैचेनी
दांत किटकिटाना — शत्रुता
शारिरिक सुस्ती — आलस्य
मुँह पर हथेली — झूठ बोलना
पीछे की ओर झुकना — उपेक्षा करने की कोशिश
बंधे हाथ — सुनने में दिलचस्पी नहीं
टेबल उंगलियां बजाना — नकारात्मक भाव
कमर पर हाथ — रक्षात्मक मुद्रा
उंगली दिखाना — आक्रामकता
आंख न मिलाना — कुछ छिपाना

Oral communication मौखिक संवाद 

वह जब तक मुंह नहीं खोलता , तब तक सभ्य   व्यक्ति लगता है|  यह बयान मौखिक  संवाद के बारे में सब कुछ कह देता है|  यह सही कहा गया है कि आप जो कहते हैं वह महत्वपूर्ण है , लेकिन आप कैसे कहते हैं यह उससे भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है|

हम जन्म लेने के साथ ही बोलना शुरू कर देते हैं, लेकिन हममें से अधिकांश लोग इसमें महारत हासिल नहीं कर पाते है |  ऐसे बहुत से पहलू है, जो बोलचाल को संवाद से अलग करते हैं, उनके बारे में हम आगे बातचीत करेंगे |

बोलने से पहले सोचिए  –  होमवर्क कीजिए |  किसी विषय पर बोलने से पहले उस पर सोचना शुरू की कर दीजिए  | आप क्या कर रहे हैं, यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए |  इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि आपकी बातों का दूसरे व्यक्ति पर ज्यादा प्रभाव पड़े|  इसके साथ ही गलतियां होने की आशंका भी कम हो जाती है|   इसलिए —

  • रुकिए सोचिए और विचार कीजिए कि आप क्या कहना चाहते हैं |
  • सही शब्दों को चुनिए जो आपके संदेश को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें |
  •  अपने श्रोताओं के बारे में जानिए और उनकी सोच तथा दृष्टिकोण के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास कीजिए |
  • अपने संदेश को सटीक बनाइए, जिससे कि उसे आसानी से समझा जा सके

डर या आशंका से निजात पाइए —  डर खतरनाक भावना है | इससे आसानी से चल रहे कामकाज में बाधा पड़ सकती है इसमें व्यक्ति सबसे बदतर चीज के बारे में ही सोचता है, जैसे मैं फेल हो जाऊंगा या मेरा अपमान होगा या अंतिम मौके पर में हड़बड़ी करने लगूंगा|  इसलिए इस डर से निजात पाना जरूरी है|  इसके लिए आप नीचे दिए गए किसी भी एक चीज पर अपना ध्यान एकाग्र कर सकते हैं|

  • अपने बजाय श्रोता पर ध्यान दें अथवा शब्दों को छोड़कर संदेश पर ध्यान दें|
  • गहरी सांस लें शरीर को ढीला छोड़ दें और डंका पीटने के बजाय जो कुछ बोले  दिल से बोले |
  • नकारात्मक बात करने से बचें|

आत्मविश्वास के साथ बोले —  अपने संदेश पर भरोसा करें|  सबसे पहली बात यह किसी सफल संवाद का मूल मंत्र है |  दूसरा आपने पहले इसे सावधानी से तैयार किया है|  इसलिए नतीजे की कामयाबी को लेकर मन में कोई संदेह न रखें|  यह स्थापित तथ्य  हैं कि  यदि आपको अपने संदेश पर पूरा भरोसा है, तो आप का संवाद मुक्त और सहज भाव से होगा|

  • भरोसे , भावना और उत्साह के साथ बोलिए |
  • झूठ बोलने से बचें, क्योंकि इससे आपकी ईमानदारी पर असर पड़ेगा |
  •  भावनाओं को व्यक्त कीजिए, आपकी बॉडी लैंग्वेज और आवाज का प्रवाह उसके अनुकूल हो जाएगा |

मुद्दे पर जल्द आइए — बेवजह की लंबी बातचीत या बेवजह का लंबा परिचय दिया जाना कोई भी पसंद नहीं करता |  जब तक कि आप मुद्दे पर नहीं आएंगे, लोग आपकी बात नहीं सुनेंगे |  इसलिए इन चीजों को सीखना जरूरीहै ;

  • इस सवाल का जवाब दीजिए कि मेरा मुद्दा क्या है और फिर जल्दी से अपने मुद्दे पर आइए  |
  • किसी बातचीत में दिलचस्पी खोने से पहले आप दूसरों से मुख्य मुद्दे पर बातचीत करने के लिए कर सकते हैं |
  • बात को खत्म करने से पहले अपने मुद्दे को एक बार और दोहराइये |

अन्य स्रोतों से  —  जब आप दूसरे स्रोतों से सामग्री उठाते हैं तो उसका उल्लेख कीजिए ऐसा करने पर तीन लाभ होते हैं|  पहला यह आपकी बहस या तर्क को और पुख्ता बनाते हैं | दूसरा इससे यह भी पता चलता है कि आपने अच्छी तरह अध्ययन किया और तीसरा इससे चुनौती मिलने की संभावना कम हो जाती है |

भाषा का इस्तेमाल  —

भाषा का सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए इसके क्षेत्र इस प्रकार है;

  • कठिन शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें | यदि आपको इस्तेमाल करना ही पड़े तो आपके विचार एकदम स्पष्ट होने चाहिए | उदाहरण के लिए यदि आप कहना  चाहते हैं कि वह बहुत ताकतवर है तो आप कह सकते हैं कि वह शेर की तरह ताकतवर है |
  • अंतिम या  सामान्य शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें |  क्योंकि इन को परिभाषित करना या इन पर बचाव करना मुश्किल हो जाता है |  इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए मैं कभी भी…. हम हमेशा  ……
  • भाषा में पुरुषों या महिलाओं का उल्लेख करते हुए सबको समान रूप से संबोधित करें, जैसे मानव शक्ति के बजाय श्रम शक्ति शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि लैंगिक भाषा का उपयोग बहुत से लोगों को नाराज कर सकता है।  श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी टिप्पणियों में सभी को शामिल कीजिए।
  • एकवचन के बजाय बहुवचन का इस्तेमाल कीजिए, जैसा उसका या उसकी के बजाय उनकी उनकी शब्द का उपयोग करें।
  • सर्वनाम के बगैर शब्द बनाइए, जैसे सभी को उनका या उसका  काम करना चाहिए कि बजाय सभी को काम करना चाहिए।
  • बातचीत में दोनों लोगों को शामिल कीजिए। जैसे आमंत्रण देते वक्त कोटऔर टाई  की बजाए बिजनेस सूट लीजिए।

भावनाएं  —  यह दो धारी तलवार हैं।  कई बार ऐसा समय आता है, जब आपको अपनी भावनाएं प्रदर्शित करनी पड़ती है, क्योंकि इससे दूसरे आपको आसानी से समझ सकते हैं।  लेकिन कई बार भावनाएं दबानी पड़ती है क्योंकि सामने वाले पर उल्टा असर हो जाता है।   इसलिए,

  • भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बॉडी लैंग्वेज का इस्तेमाल कीजिए।
  • भावनाओं को व्यक्त करने और दबाने के मौकों के बारे में जानिए।
  • सीमा तय कीजिए भावनाओं का ज्वार नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है।
  • भावनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए गहरी सांस लेकर उसे धीरे-धीरे छोड़िए।

communication के बारे में और भी जाने।

The art of conversation{बातचीत की कला}

How do make Good Effective life

What is communication and explain?
What is best definition of communication?
What is the main role of communication
Communication is the act of giving, receiving, and sharing information — in other words, talking or writing, and listening or reading. Good communicators listen carefully, speak or write clearly, and respect different opinions
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