इंकलाब जिंदाबाद । जय जवान, जय किसान । वन्दे मातरम । सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा ।
सरफ़रोशीकी तमन्ना अब हमारे दिल में है। देखना है जोर कितना बाजू ए-कातिल में है
भारत माता की जय
विद्यालय के सभी अध्यापक, अध्यापिकाएं,छात्र छात्राएं और गावँ से पधारे हुए सभी ग्रामवासी । आप सभी का आज के इस नेशनल प्रोग्राम हार्दिक अभिनंदन एंड वेलकम । आज यहाँ हम सभी मिलकर 75 वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे है
प्यारे छात्रों , क्या आप सभी को यह पता है कि हम स्वतंत्रता दिवस क्यो मानते हैं यदि आप लोग नही जानते , तो सुनिए ।
हमारे देश पर 100 वर्ष ईस्ट इंडिया कम्पनी का ओर 100 वर्ष ब्रिटिश क्राउन का । मतलब 200 वर्षो तक अंग्रेजों का क्रूर शासन रहा । हमारे देश के वीर क्रांतिकारी सिपाहियों ने अपना बलिदान देते हुए बड़े ही लम्बे संघर्ष के बाद हमें 15 अगस्त 1947 को इस क्रूर अंग्रेजी शासन से मुक्त करवाया । इसी कारण इन वीरों के बलिदान को ओर आज़ादी की वर्षगांठ 15 अगस्त को, स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। झण्डा रोहण ——
याद शहीदों की आएगी जब ये ध्वज फहराएंगे।
इसके तीनो रंग क़यामत तक योंही लहरायेंगे।
आजादी जिनके दम से है उनका नाम बढ़ाएंगे।
उनकी कुर्बानी को यारों हरगिज़ नहीं लजायेंगे।
हर आजादी से पहले सेक्रिफाइस होना पड़ता है बलिदान देना पड़ता है और हमारे देश के वीरों ने शहादत दी ,देशभक्तो ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए । आज हम उनको याद करें। हमारी आन बान शान हमारा तिरंगा है हम सभी इसका रिस्पेक्ट करे, सम्मान करे ।
में हमारे प्रधानाध्यापक जी से रिक्वेस्ट करूँगा की वे मंच पर आये और हमारी नेशनल यूनिटी के सिम्बल तिरंगे को फहराये, ध्वजारोहण करे ।
राष्ट्रगान के लिए में आमंत्रित करता हूँ {विद्यालय के छात्र -छात्राओं के नाम ……………………..}
इसी के साथ प्रांगण में बैठे सभी छात्र छात्राएं व ग्रामवासी । अपने स्थान पर खड़े हो जाएंगे और राष्ट्रगान की मुद्रा में खड़े होकर नेशनल फ्लेग का रिस्पेक्ट करेंगे।
जन गण मन अधिनायक जय है…………………….
सरस्वती वंदना —
जो वतन के जीने वाले हैं उन्हें भारतभूमि पर जन्नत मिलती है । जब तिरंगा हाथ में होता है हमारे तो हमें कुछ करने की हिम्मत मिलती है ।
जब जब भी हमारे हाथ मे तिरंगा होता है तब तब हमारे शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति जाग उठती है और देश के लिए कुछ करने की हिम्मत मिलती है इस प्रकार शारीरिक ऊर्जा के अलावा हमे मानसिक ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है और ये मानसिक ऊर्जा हमें ईश्वरीय स्मरण से प्राप्त होती है । तो आइए, हम विद्यादायिनी, कलादायित्री, संगीतपूर्णा माँ सरस्वती के चरणों को कोटि कोटि नमन करते हुए उसके चित्र के समक्ष दिव्य ज्योति को प्रज्वलित करते हैं।
इसके लिए मैं निवेदन करता हूँ हमारे प्रधानाध्यापक जी से की वे आए और सरस्वती के छविचित्र पर धूपबत्ती करके कार्यक्रम का शुभारंभ करें।
इसके लिए में निवेदन करता हु हमारे प्रधानाध्यापक जी से कि वे आये और सरस्वती के छवि चित्र पर धूपबत्ती करके कार्यक्रम शुभारम्भ करे।
तेरे चित्र फलक पर माता ,हम सब शीश नवाते है।
तिलक लगाकर दीप जलाकर ,प्यारे फूल चढ़ाते है।
सरस्वती वंदना के लिए में आमंत्रित करता हु क्लास सिक्स व् सेवंथ की छात्राए ( नाम ………………………. ) को वे मंच पर आकर सरस्वती वंदना का गान करे।
वंदना समापन के बाद
आसमान ऊचाइयों पर हम परवाज़ करते है।
हमारे मेहमानो के सर सम्मान का ताज भरते है।
विद्या की देवी माँ शारदा को करके सजदा
खुशियों से भरी महफ़िल का आगाज करते है।
इसी के साथ विद्या की देवी माँ शारदे की इस वंदना के साथ हमारे इस मंच का आगाज हुआ। शहीदों की याद में देश की आजादी का यह दिन सभी को एक बार फिर से मुबारक हो।
अतिथि स्वागत —-
साथियों , एक स्वस्थ समाज सदा से ही मनुष्य के जीवन के लिए अनिवार्य घटक रहा है और एक समाज को आदर्श बनाने में ,सदा ही ईश्वर अपने नेक बंदो को , अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजता है जिनके नेतृत्व के बिना यह समाज उन्नति से , उत्थानसे और अपनी मौलिकता से वंचित रह जाता है। ऐसे ही ईश्वरीय कार्यो का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग आज हमारे अथितियो के रूप में विराजमान होकर इस मंच की शोभा बढा रहे है। में ऐसे प्रतिनिधिरूपी अतिथियो को नमस्कार करता हु नमन करता हु।
भारत की परम्परा है अतिथि सत्कार।
गृहस्थ जीवन में पुण्य है अतिथि सत्कार।
अतिथि सत्कार ही होती है राजघरानो की आन।
पवित्र भावो की प्रबलता है अतिथि सत्कार।
प्रतिनिधिरूपी अतिथियों के सम्मान में सर्वपर्थम में उन्हें आमंत्रित करता हु जो हमारे समाज का प्रतिनिधित्व करते है समाज की अच्छाई बुराई में समन्वय बिठाते हुए समाज को एक दिशा देने का काम करते है , लोगो की हर सम्भव मदद करने का प्रयास करते है। ऐसे प्रतिनिधि श्रीमान…………………………..जी के स्वागत के लिए स्टॉफ साथी श्री ………………………… को बुलाना चाहूंगा वे मंच पर पहुंचकर श्रीमान { अतिथि का नाम ……………………………….. जी } का माला पहनाकर व् प्रतीक चिन्ह भेंट करके स्वागत करें। मंच पर स्वागत है श्रीमान { अतिथि का नाम ……………..} { इसी प्रकार एक एक अतिथियों का संक्षेप में उद्धरण देते हुए आव्हान करके बुलाना है और स्वागत करते जाना है }
पी . टी . प्रदर्शन —–
भांति भांति के आसन है ,और भिन्न भिन्न है नाम।
काया के हर अंग को ,मिलता बहुत आराम।
प्यारे छात्रों ! पहला सुख निरोगी काया अथार्थ शरीर का स्वस्थ रहना ही हमारा सबसे बड़ा सुख है। यदि आप लोगो को जीवन में कुछ स्पेशल अर्जित करना है, लोगो के सामने अपने आपको प्रूव करना है, लोगो की जुबा पर अपना नाम हो ऐसी अभिलाषा रखते हो तो आपको अपने शरीर को स्वस्थ रखना पड़ेगा और उसके लिए संतुलित खानपान के साथ साथ योग और व्यायाम को अपने नित्य कर्म में सम्मिलित करना पड़ेगा
आज विद्यालय में भी इस राष्ट्रीय पर्व के उपलक्ष्य में यहाँ कुछ गतिविधिया पी . टी . प्रदर्शन के रूप में आयोजित की जा रही है। जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में काफी सहयोग करेगी। इसके लिए में पी . टी . प्रभारी श्रीमान …………………….जी से रिक्वेस्ट करुंगा कि वे अपने पी . टी . प्रदर्शन दल के साथ प्रांगण में पहुंचकर व्यायाम प्रदर्शन प्राम्भ करे।
बहुत ही शानदार प्रदर्शन इस पीटी प्रदर्शन दल का। में आशा करता हु कि इन व्यायामों को आप अपने स्थान जरूर देंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम —– व्यायाम प्रदर्शन के बाद इस राष्ट्रीय पर्व पर दिल में देश भक्ति का जोश भरने वाले और अपने आजाद भारत की संस्कृति को जीवंत करने वाले गीत संगीत के साथ विद्यालय के छात्र – छात्राओं के द्वारा तैयार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को प्रारम्भ करते है।
दिल मेरा पुकारे , वन्दे मातरम। इस देश भक्ति सांग पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता हु क्लास सिक्स की छात्राएं अंजलि एंड पायल को। वे मंच पर आये और अपना नृत्य प्रस्तुत करे।
सुमन एंड प्रिया —- इस पैट्रियॉटिक डांस के बाद अगला जो नृत्य है वो भक्ति भाव से परिपूर्ण है। मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे — इस सांग पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता हु सुमन एंड प्रिया को। वे आये और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन प्रस्तुत करे।
रूपल शर्मा —–
झुकाना चाहे तो पत्थर की तरह अकड़ आ जाती है।
अक्सर हम में वो राजस्थानी बात आ जाती।
ऐ आसमाँ अपनी हदो को और ऊंचा कर।
हम सर भी उठाये तो पगड़ी तुझे छू के आ जाती है। इसी राजस्थानी भाव को व्यक्त करता हुआ सांग पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता हु रूपल शर्मा को। वो मंच पर आये और अपने टेलेंट से अवगत करवाते हुए नृत्य प्रस्तुत करे।
ज्योति रायका —- प्यारे छात्रों ! ये देश हमारा है। हमें इस देश पर गर्व है। इस देश की आजादी पर मिटने वाले देशभक्तो पर गर्व है। इस देश को प्रूव करने वाले तिरंगे पर हमे नाज है। बांध कफ़न अपने तन पर हम देखो वीर जवान चले।
एक तिरंगे के पीछे ये सारा हिंदुस्थान चले। इस हिन्दुस्थान को सलाम करते हुए गीत पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता हु क्लास ट्वेल्थ की छात्रा ज्योति रायका को। वह मंच पर आये और अपना नृत्य प्रस्तुत करें।
नीलम राठौर —
देश हमारी शान है ,देश हमारी जान है। देश के वीर जवानों पर ,दिल में बड़ा अभिमान है। देश के अंदर हर हिस्से की, भिन्न भिन्न पहचान है। इसीलिए तो देश की संस्कृति, देश विदेश में महान है। प्यारे छात्रों ! हमारे देश की विभिन्न संस्कृति होते हुए भी विभिन्नता में एकता की परिचायक है ऐसा ही हमारी राजस्थानी संस्कृति को प्रदर्शित करता हुआ राजस्थनी गीत -में पानी भरकर लांऊ ,करके सौलह श्रृंगार। इस पर नृत्य करने के लिए में आमंत्रित करता हु क्लास टेंथ की छात्रा नीलम राठौर। नीलम राठौर मंच पर आए और अपना नृत्य प्रस्तुत करें।
रूचि अग्रवाल —
जीण पर जन्म्या सपूत महान
बी मरुधर पर है म्हन अभिमान।
बो है म्हारो थान राजस्थान , जे जे राजस्थान ऐसा ही एक सॉन्ग जो राजस्थानी संस्कृति से परिपूर्ण है इस सान्ग पर में आमंत्रित करता हु इलेवंथ की छात्रा रूचि अग्रवाल को। वे मंच पर उपस्थित होकर अपने डांस का प्रदर्शन करे।
ऋषि एंड पार्टी — सुनो गौर से दुनिया वालो ,बुरी नजर न हम पर डालो। चाहे जितना जोर लगा लो , सबसे आगे होंगे हिंदुस्थानी। इस जोश से भरे सांग पर ,अपने जोश और उत्साह को दिखाने के लिए छात्रों का एक समूह ऋषि एंड पार्टी। मंच पर होकर अपना नृत्य प्रस्तुत करें।
दीपक वर्मा — क्या बात है बच्चों ! आज़ादी की वर्षगांठ के दिन जो आपका जोश और उत्साह है , आप सभी छात्र -छात्राओं के द्वारा जिस तरह अपने टेलेंट का प्रदर्शन किया जा रहा है , वास्तव में तारीफ़ के काबिल है में आशा करता हु कि इसी जोश और उत्साह के साथ हिन्दुस्थान सेकी मिट्टी से अपना प्रेम बनाये रखे। जब आँख खुले तो धरती हिन्दुस्थान की हो। जब आँख बंद हो तो यादे हिन्दुस्थान की हो। हम मर भी जाए तो कोई ग़म नहीं। मरते वक्त मिट्टी हिन्दुस्थान की हो। हिन्दुस्थान की मिट्टी की मह्त्ता बताता हुआ इस सान्ग पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित कर रहा हु टेंथ क्लास के छात्र दीपक वर्मा को। दीपक वर्मा मंच पर आए और अपना टेलेंट का प्रदर्शन करें। उद्बोधन —
साथियों। आज़ादी की वर्षगाँठ का यह अंतिम सांस्कृतिक कार्यक्रम आपके सामने पेश किया गया। अब में बुलाना चाहता हु हमारे बीच विराजमान अथिति महोदय श्रीमान …………….. जी को वे मंच पर पधारे और सभी छात्र -छात्राओं ,अभिभावकों व हम सभी के लिए प्रेरणात्मक विचार उद्बोधन स्वरूप अभिव्यक्त करे। ……………………………… और अंत में , में इन्वाइट करता हु हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक जी को कि वे आये और अभिभावकों व अथितियों ने जो हमारे विद्यालय के लिए समय निकाला , इसके लिए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आज के इस कार्यक्रम समापन घोषणा करें धन्यवाद