शिक्षक या सर्वकार्यक
वर्तमान में वोटिंग लिस्ट से आधार लिंकिंग का कार्य चल रहा था। मुझे इस कार्य ने शिक्षक की नगण्य भूमिका में ला दिया था ऊपर से इतना दबाव बनाया जा रहा था कि जल्द से जल्द इस कार्य को पूरा किया जाए।
हालाँकि सरकार ने इसके लिए लम्बा समय तय किया था लेकिन मॉनिटिरिंग ऑफिसर्स के द्वारा अपना अचीवमेंट शो करने के लिए शिक्षक कम बीएलओज् पर दबाव बनाया जा रहा था।
कहने को तो शिक्षक राष्ट्र निर्माता कहलाता है लेकिन मुझे लगता है शिक्षा कार्य गौण करते हुए इनसे अन्य कार्यो के द्वारा ही राष्ट्र निर्माण करवाया जाता है।
अब मुझे यहाँ , यह समझ नहीं आता कि फ़िर इन्हें शिक्षक नाम क्यों दिया है इन्हे तो सर्वकार्यक नाम दे देना चाहिए।
कल शाम को पार्क में टहल रहा था वहाँ मौजूद शिक्षकों का वार्तालाप सुनने को मिला।
“श्रीमान जी कल विद्यालय में कोनसी सब्जी बनेंगी “ एक शिक्षक के द्वारा कहा गया
“हाँँ श्रीमान जी कल के लिए लौकी ख़रीदी है। सब्ज़ी में भी महंगाई बहुत है ओर सुना है भुगतान पिछले तय पैसो के हिसाब से होगा , वो भी पता नहीं कब ? अब तो सब्ज़ी वाला उधार देने से मना करने लगा है।” दूसरे ने जवाब दिया
सही कहा श्रीमान जी ,मेरा भी पिछले पाँच महीने से किराना पोषाहार सामग्री का भुगतान नहीं हुआ है अब तो दुकान के सामने से निकलने में भी शर्म आती है सोच रहा हु किसी दूसरे दुकानदार से सम्पर्क करू। और हाँ कल तो बड़ा परेशान हुआ सर् “ पहले ने श्वांस छोड़ते हुए कहा।
कैसे…….?.
कल गैस के दोनों सिलेंडर पोषाहार बनने से पहले ही खत्म हो गए।
फिर क्या किया ……?
क्या करना था ? दोनों सिलेंडर को सांकल से बांधा और मोटरसाइकिल की सीट पर सांकल से सिलेंडर को दोनों तरफ़ लटकाकर पाँच किलोमीटर दूर एजेन्सी से भरवाकर लाया तब जाकर बच्चों को खाना मिला “ पहले ने अपनी व्यथा बया करते हुए कहा।
क्या बताएं श्रीमान जी , परसों हमारा तो आटा ही गीला हो गया था बरसात में छत जो टपक गयी थी। विद्यालय खुलते ही आटा समस्या सामने आ गयी। फिर क्या था थैला उठाया और चक्की वाले से बड़ी मिन्नतों के बाद 10 kg आटा लेकर आया तब जाकर बच्चों को गरमा – गरम भोजन मिला “ दूसरे ने दुःख भरे लहजे में अपनी बात पूरी की।
इतने में , में भी बोल पड़ा , श्रीमान जी आपके कितने परसेंट आधार लिंक हुए ?
30 परसेंट और आपके ? “ पहले ने जवाब सवाल करते हुए कहा।
मेरा 40 परसेंट कार्य पूर्ण हो चुका है लेकिन आज ही मैसेज आया है कि कल तक 70 परसेंट कार्य कंप्लीट हो जाना चाहिए वरना अनुशानात्मक कार्यवाही की जावेगी , लगता है कल तो दिन भर आधार कलेक्ट करने के लिए गावँ में रहना पड़ेगा।
हमारा वार्तालाप चल रहा था इसी बीच एक और सर्वकायक महाशय वहाँ आ पहुंचे , उनके बारे में हमने सुना था कि कल उनके विद्यालय में झगड़ा हो गया था। उनके आते ही हमने पूछ लिया “ महाशय जी, कल क्या हो गया था
इतना सुनते ही वे तमतमाकर बोले “ कल जैसे ही विद्यालय पंहुचा कुक हेल्पर्स ने कक्षा कक्षों की सफाई करने से मना कर दिया बोले कि इतने से मानदेय में खाना बन जाये , वहीं खुब है। बच्चों को बुलाकर सफाई करवाना चाहा तो अभिभावक आ धमके और खरीखोटी सुनाकर चले गए इसी वजह से विद्यालय का माहौल गर्म हो गया कुछ देर गहमा गहमी चली फ़िर झाड़ू उठाया और हल्की फुल्की सफ़ाई करके बच्चों को बैठाया गया।
फ़िर कुछ देर बाद स्काउट शिविर में दो छात्रों के साथ पहुंचने का वाट्सप आदेश प्राप्त हुआ। स्काउट प्रभारी C. L. पर थे अब शिविर को कौन अटेंड करे इस बात को लेकर पूरा दिन ही सर्वकार्यको की बहस में निकल गया।
वाट्सप आदेश की बात सुनकर पहले वाले महाशय बोले “ अरे ! हाँ श्रीमान जी, वो आधार बनवाने का आदेश पढ़ा आपने ? नव प्रवेशित छात्रों के अभिभाबको को बुलाकर उन्हें आधार नामाँकन फॉर्म भरकर देना है और आधार एनरोलमेंट ऑफिस में भेजना है ताकि शाला दर्पण पर आधार ऑथेंटिक शत्प्रतिशत हो सके।
इनकी बात पूरी होते ही दूसरे महाशय कुछ पूछने लगे “ क्या आप लोगों को पता है सब्जियों के बीज़ कहा मिलेंगे ?
सब्ज़ी बेचने का इरादा है क्या “ हम सभी ने चुटकी लेते हुए कहा
सब्ज़ी बेचना नहीं, केवल उगाना है वह भी विद्यालय के प्रांगण में। गेती ,फाऊडा, और कुदाली तो कल ही ख़रीद लिया था क्योकि जमीन पथरीली है तो इनकी आवश्यकता पड़ेगी। अब तो केवल बीज़ खरीदना शेष है।
मुझे तो 25 अगस्त से नोडल में उपस्थिति देनी है “ दूसरे महाशय की बात को रोकते हुए मेने कहा।
क्यों ?
राजीव गाँधी खेल प्रतियोगिता होनी जा रहीं है अब वही बैठकर आधार लिंकेज का कार्य करता रहूंगा।
ये था कुछ शिक्षकों का वार्तालाप जो आप लोगो ने पढ़ा। अब इस वार्तालाप में मुझे ये बता दीजिये कि शिक्षकों के इस कन्वर्सेशन में शिक्षा की बात कहा है । …. ? और क्यों नहीं है…..? इसका कौन जिम्मेदार है…. ?
शिक्षकों को शिक्षक नहीं सर्वकार्यक ही कहना उचित है क्योंकि इनसे हर वो कार्य करवाए जाते है जो शिक्षा को गौण करते जा रहे है। इस प्रकार के दूसरे कार्य विद्यालय में शिक्षा का माहौल ही नहीं बनने देते।
फिर भी कुछ शिक्षकगण महान है जिनकी बदौलत शिक्षा विभाग अपने टारगेट पुरे कर लेता है
ऐसे सर्वकार्यको को जयहिंद
शानदार लेख