छत्रपति शिवाजी – chhatrapati shivaji

भारत के सबसे बहादुर और बुद्धिमान सम्राटों में से एक गिने जाने वाले योद्धा । जो न तो दिल्ली की गद्दी के आगे झुका और नहीं अंग्रेजों के सामने । ऐसे वीर सपूत भारतीय गणराज्य के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को मराठा परिवार में हुआ था इसी कारण हर 19 फरवरी को उनकी जयंती मनाई जाती है।

आपको बता दें, कि शिवाजी महाराज का नाम शिवाजी भोसले था लेकिन जब उन्हें मराठा साम्राज्य का ताज बनाया गया जिसके बाद से वह छत्रपति कहलाने लगे ।

शिवाजी महाराज की जयंती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस जयंती की शुरुआत 1870 में पुणे में महात्मा ज्योति राव फूले द्वारा की गई थी।

गोरेला युद्ध नीति को जन्म देने वाले शिवाजी महाराज अद्भुत रणनीतिकार , उत्कृष्ट नेतृत्व गुणों के धनी थे । उन्होंने कई बार अंग्रेजों की सेना को धूल चटाई थी ।

मराठा सरदार शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई जाधव था शिवाजी का विवाह सब 14 मई 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ लाल महल पुणे में हुआ था उन्होंने कुल 8 विवाह किए थे।

जानिए शिवाजी को प्रश्नोत्तरी के माध्यम से

1. छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे ?

कुशल रणनीतिकार, नेतृत्व गुणों के धनी, एक महान बहादुर एवं प्रगतिशील शासकों में से एक जिन्होंने मराठा साम्राज्य राज्य की स्थापना की थी ।

2. छत्रपति शिवाजी ने युद्ध की कौन सी नई शैली विकसित की ?

छत्रपति शिवाजी ने समर विद्या में अनेक नवाचार किए तथा छापामार युद्ध (गोरिल्ला युद्ध) की नई शैली विकसित की।

3. छत्रपति शिवाजी का परिचय बताइए?

पूरा नाम — शिवाजी राजे भोंसले

जन्म — 19 फरवरी 1630

जन्मभूमि — शिवनेरी, महाराष्ट्र

मृत्यु — 3 अप्रैल 1630

पिता/माता — शाहजी भोंसले

पत्नी — सईबाई निंबालकर

संतान — संभाजी

उपाधि — छ्त्रपति

साम्राज्य — मराठा साम्राज्य

वंश — भोंसले

4. हिंदू हृदय सम्राट किसे कहा जाता है?

छत्रपति शिवाजी को हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता है।

5. विश्व का प्रथम बाल साहित्यकार किसे माना जाता है?

विश्व का प्रथम बाल साहित्यकार छत्रपति शिवाजी के पुत्र संभाजी को माना जाता है।

6. छत्रपति शिवाजी के गुरु का क्या नाम था?

छत्रपति शिवाजी के गुरु का नाम श्री समर्थ रामदास स्वामी था।

छत्रपति शिवाजी के प्रेरणात्मक विचार

जब तुम्हारे हौसले बुलंद होंगे तो पहाड़ जैसी मुसीबतें और संघर्ष भी मिट्टी के ढेर के समान ही प्रतीत होगा।

जीवन संघर्षशील है और इस जीवन में मुसीबतें और बाधाएं आना स्वाभाविक है लेकिन यदि हमारे हौसले बुलंद हैं और हम इस जीवन में कुछ करना चाहते हैं तो कितनी भी बड़ी समस्या हमारे सामने हो वह हमें बहुत कम लगती है मिट्टी के ढेर के समान ही प्रतीत होती है इसलिए कभी भी अपने हौसले को कम नहीं होने देना चाहिए।

शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यों न हो उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी प्राप्त किया जा सकता है।

हमारा शत्रु हमसे ताकतवर हो सकता है उसे हम शारीरिक तौर से परास्त नहीं कर सकते, लेकिन यदि हमारे अंदर मजबूत इरादा और भरपूर उत्साह है तो हम ऐसे शत्रुओ को भी हरा सकते हैं।

एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।

हमें हमारे जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य तय करना चाहिए इन छोटे-छोटे लक्ष्यों की ओर छोटे छोटे कदम बढ़ाते रहना चाहिए। एक दिन हम हमारे बड़े लक्ष्य को प्राप्त लेते है।

हर बार अपनी गलतियों से सीखने की जरूरत नहीं है हम दूसरों की गलतियों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।

कहा जाता है की गलतियो में सुधार कर करके हम एक सफ़ल जीवन की ओर बढ़ सकते है लेकीन हर बार हमें ही गलतियां करने की आवश्यकता नहीं है किसी दुसरे के द्वारा की गई गलतियों से भी सबक लिया जा सकता है।

जब लक्ष्य जीत की हो तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य क्यों ना हो उसे चुकाना ही पड़ता है।

सफलतम जीवन जीने के लिए हमें लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए लेकिन उन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए लगातार हमें जी तोड़ मेहनत करनी होगी।

जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी अपने काम में पूरी शिद्दत से लगा रहता है उसके लिए समय खुद ब खुद बदल जाता हैं।

बहुत से लोग अपनी मुसीबतों के लिए समय को दोष देते हैं लेकीन वास्तविकता में किसी के लिए कोई समय खराब नही होता। फिर भी कभी हमारे सामने विपरीत परिस्थितिया आती है हमें कार्य में दोगुनी रफ्तार से लगे रहना चाहिए। आपका समय आपके अनुकूल दिखने लगेगा।

 

छत्रपति शिवाजी के बारे में अधिक जानकारी

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